ધોરણ 9 પ્રથમ પરીક્ષા હિન્દી બ્લુપ્રિંટ અને મોડેલ પેપર સોલ્યુશન

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विभाग- A : गद्य विभाग

सही विकल्प चुनकर निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

 

1. ब्राह्मण देवता मैं आपको का अवसर देना चाहता हूँ । (न्याय, न्यायधीश)

उत्तर :- न्याय

 

2. प्रियव्रत राय_________में पढ़ता है । (कॉलेज, मैट्रिक)

उत्तर :- मैट्रिक

 

सही विकल्प चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :

 

3. न्यायमंत्री के रूपमें शिशुपाल को घोषित करते हुए सम्राट अशोकने राजमुद्रा दी

(A) मैं आपसे प्रसन्न हूँ।

(B) आपके न्यायमंत्री होने की यह तनखाह है।

(C) यह तुम्हारे न्यायमंत्री होने की पहचान है ।

उत्तर :-  (C) यह तुम्हारे न्यायमंत्री होने की पहचान है ।

 

4. रानी का मन कहता था कि...

(A) वह उनके जीवन का अंतिम युद्ध था ।

(B) उनकी विजय अवश्य होगी ।

(C) उनके सिपाही वीरता को कलंकित नहीं होने देंगे ।

उत्तर :-  (A) वह उनके जीवन का अंतिम युद्ध था ।

 

निम्नलिखित प्रश्न का एक - एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

 

5. देश का वातावरण आज कैसा बन गया है ?

उत्तर :-  देश का वातावरण आज एसा बन गया हैं की लगता हैं देश में कोई ईमानदार आदमी ही नहीं बचा हैं।

 

6. बच्चनजी को मुक्ता प्रसादजी ने कौन - सा उपचार बताया था ?

उत्तर :- मुक्ता प्रसादजी ने बच्चनजी को लुई कोने के पानी के प्रयोग से रोग दूर करने का उपचार बताया।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो तीन वाक्यों में लिखिए :

 

7. प्रियोदा की टोली का रविवार को क्या कार्यक्रम होता था ?

उत्तर :- रविवार को प्रियोदा की टोली पहले से निर्धारित मुहल्ले में मुठिया वसूलने जाती थी। इसी तरह टोली के कुछ लोग बीमार व्यक्ति की सेवा करने जाते थे ।

 

8. कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुरने प्रार्थना गीत द्वारा भगवान से क्या याचना की है ?

उत्तर :- कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपने प्रार्थना गीत में भगवान से यह याचना की है कि संसार में केवल नुकसान उठाना पड़े, धोखा खाना पड़े तो भी मैं विचलित न होऊँ। ऐसे अवसरों पर भी हे प्रभो ! मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम पर संदेह न करूँ ।

 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर पाँच छ : वाक्यों में लिखिए :

 

9. रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिशाल थी स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर :- रानी लक्ष्मीबाई हमारे इतिहास का एक अत्यंत तेजस्वी चरित्र हैं। स्वराज्य ही उनका अंतिम लक्ष्य है। इसके लिए वे बड़े से बड़ा बलिदान दे सकती हैं। स्वराज्य की नींव बनने में ही वे जीवन की सार्थकता मानती हैं। उन्हें राग रंग से सख्त नफरत है। उन्हें यही चिंता है कि स्वराज्य के लिए - लड़ रहे उनके सैनिकों की वीरता कलंकित न होने पाए। सचमुच, रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल थीं ।

अथवा

लेखक बीमारी में भी क्यों काम करते थे ?

उत्तर :- लेखक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। घर का खर्च निकालने के लिए वे स्कूल में पढ़ाते थे और ट्यूशन करते थे। आराम करने से वे ये दोनों काम नहीं कर सकते थे। बिना आमदनी के घर कैसे चलता ? छोटे भाई शालिग्राम की आमदनी भी अधिक नहीं थी। महँगी दवाएँ भी उनके लिए सिरदर्द थीं। इसलिए मज़बूरी में बच्चनजी बीमारी में भी काम करते थे।


 

विभाग- B : पद्य - विभाग

 

सही विकल्प चुनकर निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

 

10. दुर्बलों के___________पौरूकी साधना । (रक्षणार्थ, नवतेज)

उत्तर :- रक्षणार्थ

 

11. _________चाह नहीं, अपनी कोई पहचान नहीं। (वैभव - विलास, सुख)

उत्तर :- वैभव – विलास

 

निम्नलिखित काव्य पंक्ति पूर्ण कीजिए ।

 

12. वे आर्य ही............. कभी पीते न थे

उत्तर :- वे आर्य ही थे जो कभी अपने लिए जीते न थे;

वे स्वार्थ-रत हो मोह की मदिरा कभी पीते न थे ।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के एक - एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

 

13. सूर धन्य क्यों हुए ?

उत्तर :- सूर धन्य हुए क्योंकि उन्हें श्रीकृष्ण की दुर्लभ छबि के दर्शन हो गए हैं।

 

14. कवि किस की अभ्यर्थना करते है ?

उत्तर :- कवि सबके जीवन में नया प्रकाश आने की अभ्यर्थना करते है

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो - तीन वाक्यों में लिखिए :

 

15. वैभव से क्या प्राप्त होता है ?

उत्तर :-  वैभव से मनुष्य को ढेर सारी चिन्ताएँ और थोड़ी - सी हँसी - खुशी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त - उसे चमक - दमक दिखाने का अवसर और क्षणिक भोग विलास प्राप्त होता है ।

 

16. सूरदास छेरी (बकरी) दुहने की जरूरत क्यों नहीं समझते ?

उत्तर :- सूरदास अपने प्रभु श्रीकृष्ण को कामधेनु मानते हैं। इसलिए बकरी दुहने की ज़रूरत नहीं समझते |

 

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर पाँच - छ : वाक्यों में लिखिए :

 

17. गुप्तजीने भारत के गौरव का वर्णन किस तरह किया है ?

उत्तर :- गुप्तजी कहते हैं कि भारत प्रकृति का पुण्य लीला स्थल है। यह ऋषियों की पावन भूमि है। भारत ही संसार का सिरमौर है । भगवान की बनाई हुई भव - भूतियों का सबसे पहला भंडार भारतवर्ष ही है। यहाँ के निवासी आर्यों की यह प्रसिद्ध भूमि है। आर्यों ने ही संसार को विद्या और कला - कौशल की शिक्षा दी। इस प्रकार कवि ने भारत के गौरव को हमारे सामने रखा है।

अथवा

सूरदास अपने आपको क्यों धन्य मानते है ?

उत्तर :- सूरदास श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं । श्रीकृष्ण के अतिरिक्त अन्य किसी का ध्यान नहीं करते । श्रीकृष्ण की मनमोहक छबि सदा उनकी आँखों में बसी रहती है। यह छबि उन्हें अनुपम सुख प्रदान करती है। वे श्रीकृष्ण की इस छबि को दुर्लभ मानते हैं। उन्हें अपने प्रभु की इस अनोखी मूर्ति के दर्शन हुए हैं। इसलिए वे अपने आपको धन्य मानते हैं ।

 

विभाग- C : व्याकरण विभाग

 

निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजीए :

 

18. रात - दिन एक करना ।

अर्थ : कड़ी मेहनत करना ।

वाक्य : मैंने यह वीडियो बनाने मे रात दिन एक कर दिए ।

 

निम्नलिखित कहावत का अर्थ स्पष्ट कीजिए : कीजिए :

 

19. नाच न जाने आँगन टेढा

उत्तर :- जब किसिको काम न करना हो तब उनको कोई न कोई बहाना मिल ही जाता हैं।

 

व्याकरण निम्नलिखित वाक्य शुद्ध कीजिए :

 

20. तुम्हारी स्कूल कहाँ है ?

उत्तर :- तुम्हारा स्कूल कहा पर ह !

 

निम्नलिखित शब्द का विरोधी शब्द लिखिए :

 

21. ईमानदार

उत्तर :- बेईमान

 

निम्नलिखित शब्द का पर्यायवाची शब्द लिखिए :

 

22. अतिथि

उत्तर :- मेहमान

 

निम्नलिखित शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए :

 

23. धर्म से डरनेवाला

उत्तर :- धर्मभीरु

 

निम्नलिखित शब्द का उपसर्ग दीजिए :

 

24.  पराजय

उत्तर :- परा - – उपसर्ग उपसर्ग

 

निम्नलिखित भाववाचक संज्ञा बताइए :

 

25. रमेश में मानवता है।

उत्तर :- मानवता

 

निम्नलिखित कर्तृवाचक संज्ञा बताइए :

 

26. धोनी क्रिकेट का खिलाड़ी है 

उत्तर :- खिलाड़ी

 

निम्नलिखित विशेषण बताइए 

 

27. गांधीजी सब से पूजनीय है।

उत्तर :- पूजनीय

 

निम्नलिखित विशेषण बताइए 

 

27. गांधीजी सब से पूजनीय है।

उत्तर :- पूजनीय

 

विभाग - D : लेखन - विभाग

 

लेखन परिच्छेद को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

 

मानव के व्यक्तित्व का निर्माण करनेवाले विभिन्न तत्त्वों में चरित्र का सबसे अधिक महत्त्व एक ऐसी शक्ति है जो मानवजीवन को सफल बनाती है  चरित्र की शक्ति ही आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता उत्पन्न करती है। चरित्र मनुष्य के क्रिया कलाप और आचरण के समूह का नाम है। चरित्री रूपी शक्ति के सामने पाश्विक शक्ति भी नष्ट हो जाती है  चरित्र की शक्ति विद्या, बुद्धि और संपत्ति से भी महान होती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कई चक्रवर्ती सम्राट धन, पद, वस्तु और विद्या के स्वामी थे परंतु चरित्र के अभाव में अस्तित्वविहीन हो गए 

प्रश्न 

28. चरित्र का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर :- चरित्र मानवजीवन को सफल बनाती है।

 

29. चरित्र किसे कहते है ?

उत्तर :- चरित्र मनुष्य के क्रिया कलाप और आचरण के समूह का नाम है।

 

30. इस गद्यखंड का उचित शीर्षक दीजिए ?

उत्तर :- चरित्र और उसका महत्त्व

 

31. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए :

 

एक जमींदार - बहुत से नौकर सलाह - खेती की आमदनी का दिन - घर - दिन घटते जाना मित्र की सलाह - 'सुबह खेत की सैर करो' कुछ नौकर गायब, कुछ चीजे गायब - रोज देखभाल आँखें खुलना - खुद काम में लग जाना - सभी नौकरो में उत्साह - आमदनी बढ़ना - सीख  -

 

एक दिन एक जमीदारी ने यह देखा कि उनके खेतों से आम दानी दिन-पर-दिन घटती जा रही है। परंतु और भी चिंता की विषय यह थी कि उनके जमीनों पर किसानों की कोई कमी नहीं थी। जमीदार जी परेशान हो गए और सोचने लगे यह समस्या का कैसे समाधान निकाला जाए। उन्होंने अपने मंत्रियों को इस मामले का असली जड़ ढूंढने को भेजा। दिन घोड़े की तरह दौड़ने लगा परंतु कोई भी उपयुक्त कारण ना मिली। एक दिन जमीदार जी ने अपने ही मन में सोचते हुए बगीचे में सैर कर रहे थे कि उनके दोस्त ने उन्हें देखा और तुरंत मिलने आए। बातचीत होते होते दिल से शाम कब हो गई पता ना चला. इसी बीच जमीदार जी ने बातों-बातों में उनके दोस्त को अपनी खेती को लेकर चिंता बताया। दोस्त ने सोचते हुए एक सलाह दुविधाय दिया, "अच्छा तो सुनो, तुम ना सुबह खेत की सैर किया करो।" ऐसा बताते हुए वह अपने रास्ते निकल पड़े अगले दिन सुबह जमीदार जी दोस्त की सलाह मानते हुए अपने खेतों की सैर करने निकले। वहां पर उन्होंने एक आश्चर्य दृश्य देखा: जिन किसानों को उन्होंने सुबह को काम करने रखा है। उनमें से कई नौकर गायब थे और तो और कुछ चीजें भी गायब थी यह सच जमीदार को यह सच ज़मीदार को प्रकट में डाल दिया। वह निराश होने लगे और चिंता से मुरझाने लगे परंतु उनकी पत्नी को यह मंजूर ना थी। "आप ना किसी और पर भरोसा करना छोड़ दो। खुद खेती में लग जाओ।" जमीदार जी ने इस बात को गौर से समझा और उन्होंने प्रज्ञा से इस सलाह को मानी। अगले दिन से वह खुद अपने खेतों में काम करने लगे। उनके निष्ठावान कुछ किसानों ने उनकी मदद की। उनके कठोर प्रयास को देखते हुए सभी नौकरों में स्वतः स्फूर्त उत्साह आई। उससे जमीदार ने अपने खेतों से बहुत लाभ किया। क्योंकि उनके अपने प्रयास से आमदनी बढ़ गई।

 

सीख: हमेशा अपना काम खुद करो, किसी और के ऊपर पूरा भरोसा मत करो।

अथवा

 

31. निम्नानुसार पत्रलेखन कीजिए :

 

सोना टाऊन शीप, मांडल रोड, विरमगाम से वंश पटेल राजकोट में रहनेवाले अनिल वर्मा को पर्यावरण का महत्त्व समझाते हुए पत्र लिखता है 

 

निम्नलिखित विषय पर लगभग 100 शब्दों में निबंध लिखिए :

 

32. मेरा प्रिय त्योहार

(परिचय-प्रिय होने का कारण-त्योहार की तैयारियाँ मनाने का ढंग-उपसंहार )

 

भारत त्योहारों का देश है, यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल ही आते रहते हैं लेकिन दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है।

इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों का त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।

यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों को सजाया जाता है।

यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने नए बहीखाते बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या यानी कि दिवाली का मुख्य दिन, इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार मनाते हैं।

दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, जो घर  समाज के लिए बड़ी बुरी बात है। हमें इस बुराई से बचना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दख  पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा। पटाखे सावधानीपूर्वक  छोड़ने चाहिए, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके।

अथवा

32. मेरा भारत महान

(भारतीय संस्कृति-भौगोलिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व - विश्व में योगदान-संदेश)

 

प्राचीनकाल से हमारे देश भारत का अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया ये सभी नाम हमारे भारत देश के ही नाम है। माना जाता है की भारतवर्ष नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण के अध्याय 37 के अनुसार ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र का नाम भरत था।

जिसके कारन ऋषभ के पुत्र का भरत के नाम पर हमारे देश भारत का नाम भारतवर्ष पड़ा।  वैसे तो मुख्यतः भारत को 4 नामों से जाना जाता है। 1. आर्यावर्त 2. हिंदुस्तान 3. भारत 4. इंडिया इन चार नाम से भारत के लोग अधिकतर जानते है। आर्यावर्त का अर्थ प्राचीन संस्कृत भाषा के अनुसार जहां आर्य निवास करते हैं होता है। 

हमारा देश विभिन्न संस्कृति वाला देश है। भारत की संस्कृति हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म सहित विभिन्न सभ्यताओं और धर्मों का मिश्रण है। भारतीय संस्कृति के सबसे प्रमुख धर्म है। हिंदू धर्म भारत में प्रमुख धर्म है और देश की संस्कृति पर इसका गहरा प्रभाव है। 

भारतीय संस्कृति का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू इसकी कला और वास्तुकला है। देश की ताजमहल समेत कई प्राचीन वास्तुशिल्प है। ताजमहल जिसे दुनिया के सात आश्चर्यों (अजूबेमें से एक माना जाता है।

भारतीय व्यंजन भी हमारे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह अपने विविध स्वादों, मसालों और खाना पकाने के तरीकों के लिए जाना जाता है। भारतीय भोजन आम तौर पर बहुत मसालेदार और स्वादिष्ट होता है। 

मेरा देश भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अलावा अपने त्योहारों और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। दीवाली, होली, नवरात्रि और दशहरा भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से कुछ हैं। ये त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं और ये भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

भारत में कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह का नाम शामिल हैं। ये वे लोग थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी को भारतीय राष्ट्र का पिता माना जाता है और उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन का नेतृत्व किया था। 

जवाहरलाल नेहरू, जो स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले प्रधान मंत्री बने थे। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख नेता भी थे। इन्होने कई वर्षों तक भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

सरदार पटेल, जिन्हें भारत के लौह पुरुषके नाम से भी जाना जाता है। इन्होने ने भारत की रियासतों को एक अखंड देश में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सुभाष चंद्र बोस जिन्हें नेताजीके नाम से जाना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक अन्य प्रमुख नेता थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया और अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए बल का प्रयोग किया। 

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकार थे। जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए शहीद हो गए। जब लाहौर में बमबारी में उनकी भागीदारी के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें फांसी दी गई थी। इसीलिए तो हमारा भारत महान है। 

भारत जो सुन्दरता का प्रतीक है। इसके बारे में कितना भी लिखे यह कम होगा। आजादी की लड़ाई आजादी के बाद भी हमारे भारत देश को कई तरह की समस्या का सामना किया है। लेकिन हम सभी भारत के लोग सभी समस्या का सामना मिलकर किया है। न ही कभी हार मानी हर कठिनाई का बड़े बहादुरी से सामना किया है।

अथवा

32. विद्यार्थी की आत्मकथा

(प्रस्तावना-कर्तव्य- प्रथम नंबर आना- प्रिय होना-परिस्थिति से संघर्ष-अंत-उपसंहार  )

 

सारे वर्ष मैंने किस-किस प्रकार दिन बिताए, यह एक लंबी कहानी है। होते-होते परीक्षा सिर पर  गई। विद्यालय में बिदा की पार्टी के पश्चात् एक मास की छुट्टियाँ हो गईं। मैंने सोचा कि अब परीक्षा में पूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिए पढ़ाई में मन लगाकर जुट जाना चाहिए। मैंने अपना कमरा ठीक करके पढ़ने का समय विभाग बना लिया। इतने में मेरा मित्र मनमोहन  गया। मेरा लिखा हुआ कार्यक्रम देखकर कहने लगा, "अरे! तुमने तो नौ बजे सोने का कार्यक्रम रखा है। इतनी जल्दी सोकर परीक्षा कैसे पास कर सकोगे ?"

 

मैंने कहा- "कुछ अंश तक तुम्हारी बात ठीक है, परंतु पढ़ने की अपनी-अपनी रुचि होती है। मुझे तो रात्रि की अपेक्षा प्रातःकाल उठकर पढ़ने से अधिक लाभ होता है। रात्रि को नींद का आवरण इस प्रकार घेर लेता है कि उस समय कुछ भी कर सकना मेरे लिए असंभव- सा हो जाता है। प्रातः चार बजे अपने आप नींद खुल जाती है और मुझे कठिन-से-कठिन विषय भी उस समय अपने आप स्पष्ट होता जाता है।" अपने-अपने ढंग से हम परीक्षा की तैयारी में लीन हो गए।

 

मैं प्रातः चार बजे उठकर, शौचादि से निवृत्त होकर दो घंटे पढ़ लेता था। फिर भ्रमणार्थ किसी सुंदर उद्यान में चला जाता, ताकि मस्तिष्क हलका और पुनः स्फूर्तिमय हो जाए। घर आकर स्नान-संध्या आदि के पश्चात् कलेवा करके तीन-चार घंटे तक फिर अध्ययन कर लेता था। दोपहर को भोजन के पश्चात् एक घंटा विश्राम करके फिर चार घंटे क्रम से सभी विषयों की तैयारी करता था। प्रातःकाल का समय मैंने केवल कंठस्थ करने के लिए निश्चित कर लिया था। क्योंकि उस समय याद किया हुआ विषय कभी भूलता नहीं। सायंकाल छः बजे पढ़ाई बंद करके मैं कहीं घूमने और मित्रों से मिलने-जुलने के लिए निकल पड़ता था।

एक दिन मैं और मेरा मित्र मनमोहन दोनों नरेंद्र के घर जा निकले। बहुत-सी किताबें लेकर वह बेचारा बैठा था। दिमाग थका हुआ और बड़ा झुंझलाया हुआ-सा वह दिखाई दिया। कहने लगा, "हर समय पढ़ाई में ही लगा रहता हूँ।  नहाने धोने का पता है,  समय पर खाने-पीने का; किंतु पता नहीं फिर भी क्यों कुछ याद नहीं होता !"

हम दोनों खूब हँसे। "तुम तो किताबी कीड़े बन गए हो।" मैंने कहा, "हर समय पुस्तकों से चिपटे रहने से अधिक स्मरण नहीं होता। हाँ, नियमित पढ़ने से अधिक लाभ होता है। छोड़ो इस झमेले को, आओ, जरा बाग में टहलने चलें।"

अंत में परीक्षा का वह दिन  गया जिसकी हम प्रतीक्षा में थे। प्रातः उठे, स्नान-संध्या की और अपने लिखने का सामान लेकर मैं परीक्षाभवन की ओर चल पड़ा। परीक्षा भी क्या चीज है! कितनी भी तैयारी क्यों  हो, प्रश्नपत्र सामने आने से पहले मन जिस प्रकार धड़कता है उसकी तो पूछो ही मत। फिर प्रश्नपत्र बाँटे गए और सभी परीक्षार्थी लिखने में संलग्न हो गए। मैं भी तल्लीन हो गया।

एक घटना घटी। एक लड़का मजे से घर से लिखकर लाए हुए प्रश्नों के उत्तरों की नकल कर रहा था। उसने सोचा होगा कि यहाँ किसी को क्या पता लगता है। किंतु यह तो परीक्षाभवन था। यहाँ तो उसी का हिसाब देना होता है, जो सारे वर्ष में अध्ययन-मनन किया हो। वह पकड़ा गया। उसे बाहर निकाला गया। सभी विद्यार्थी उसे देखकर सावधान हो गए।

दूसरे दिन अचानक रात को एक बजे नींद खुल गई। मैं पुस्तकें लेकर पढ़ने बैठ गया। चार बजे तक अध्ययन किया। केवल एक घंटा सोया। फिर झटपट उठकर, तैयार होकर परीक्षाभवन में पहुँचा। प्रश्नपत्र आया तो सब पढ़ा-लिखा काफूर हो गया। आधी रात तक जागकर पढ़ने से मस्तिष्क में ऐसी गड़बड़ी हुई कि कुछ समय में   रहा था। प्रश्नपत्र उलटा रखकर मैं आधा घंटा चुपचाप बैठा रहा। फिर कुछ चेतना जागी। किसी प्रकार सारे प्रश्नों के उत्तर लिखे गए। तब से मैंने रात भर जागकर पढ़ने से छुट्टी ले ली।

सभी प्रश्नपत्र बहुत अच्छे हो गए। मैंने पुस्तकें एक ओर रखीं। जान में जान आई। परीक्षा का भूत तो किसी प्रकार सिर से उतरा। अब परिणाम की उत्सुकता लग गई। परिणाम दो मास बाद निकलने वाला था।

एक दिन अचानक प्रातः ही समाचार पत्रों में परीक्षा का परिणाम देखकर मेरी प्रसन्नता का ठिकाना  रहा। अपने नगर के विद्यार्थियों में मेरा पहला नंबर था। माता-पिता और अध्यापक वर्ग सभी को बहुत हर्ष हुआ। सभी मित्र मिठाई खाने के लिए पीछे पड़ गए।


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